Sadhana Shahi

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दो मित्र (लघुकथा) सच्चे प्रतियोगिता हेतु28-Apr-2024

दो मित्र (लघु कथा)

बात उन दिनों की है जब कोरोना नाम का दानव पूरी दुनिया को दहलाया हुआ था। उसी समय रमेश और मोहन दो परम मित्र शहर से नौकरी छूट जाने की वजह से गांँव में आकर रहने लगे। मोहन के पास गांव में पांँच बिगहे ज़मीन होने के बावजूद गांँव में आकर जो थोड़े बहुत पैसे शहर से बचाकर ले आया था उसी से अपनना गुज़र- वसर करने लगा। रमेश के पास गांँव में थोड़ी सी जमीन थी जिसमें वह खेती तो नहीं कर सकता था किंतु सब्जियांँ लगा दिया और ताजी सब्जियों को तोड़कर घर-घर ले जाकर बेच आता था। इस तरह उसके पास रोज के ख़र्चे के लिए पैसे निकल आते थे। क्योंकि कोरोना लंबे समय तक चला अतः मोहन पैसा ख़त्म हो गया और वह क़र्ज़ में पूरी तरह डूब गया। जबकि रमेश अपनी थोड़ी सी ज़मीन में ही सब्ज़ी लगाकर, अपनी मेहनत से उसमें अच्छी ख़ासी सब्ज़ी पैदा करके उसे बेचकर अपना घर ठीक तरह से चलाता रहा और वह खुशहाल जिंदगी को जीता रहा। सही कहा जाता है ईश्वर भी उसी की मदद करते हैं जो अपनी मदद स्वयं करता है। यदि हम हाथ पर हाथ रख करके अकर्मण्य की तरह बैठ जाएंगे तो ईश्वर हमारी मदद उसी तरह नहीं करेंगे जैसे उन्होंने मोहन का नहीं किया।

साधना शाही, वाराणसी

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3 Comments

Babita patel

04-May-2024 12:39 PM

Amazing story

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Mohammed urooj khan

29-Apr-2024 01:20 PM

👌🏾👌🏾👌🏾

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Varsha_Upadhyay

28-Apr-2024 08:57 PM

Nice one

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